Posted by: PRIYANKAR | अगस्त 27, 2007

लीलाधर जगूड़ी की एक कविता

 

प्रार्थना

 

फलो !

जब महंगे बेचे जाओ

तो तुरंत सड़ जाया करो

छूते ही या देखते ही ।

 

********

 

( काव्य संकलन ‘घबराये हुए शब्द’ से साभार )

 


प्रतिक्रियाएँ

  1. आह्ह!!! यह कौन सा पहलू छू लिया. वाह.

  2. एक मेरी भी छापें:

    हमने अमावस को चाँद देखा है……..

    वो खड़ी थीं।

    –समीर लाल ‘समीर’

    🙂


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