Posted by: PRIYANKAR | अप्रैल 16, 2008

रोटी का सवाल

( कोटा निवासी महेन्द्र नेह अत्यंत सरस गीतकार हैं . एक-दो बार उनके गीत सुनने का मौका मिला है . प्रस्तुत गीत जो मेरे पसंदीदा गीतों में शामिल है, अभिव्यक्ति (सं०-शिवराम) द्वारा प्रकाशित एक पुस्तिका से लिया गया है . ‘अनवरत’ और ‘तीसरा खंबा’ नामक  चिट्ठों पर अपनी बात रखने वाले विधिवेत्ता ब्लॉगर  दिनेशराय द्विवेदी के अभिन्न मित्र हैं महेन्द्र नेह और शिवराम  )

 

महेन्द्र नेह का एक जनगीत

 

रोटी का सवाल

 

रोटी का सवाल भैया रोटी का सवाल

लाखों-लाख करोड़ों भूखे-नंगों का सवाल

तेरा भी सवाल है ये मेरा भी सवाल

 

तेरे घर में सूखी रोटी, मेरे घर में फ़ाका

तेरे घर में सेंध लगी तो मेरे घर में डाका

मैं भी फटेहाल भैया तू भी फटेहाल ॥१॥

 

तुझको मारा खुली सड़क पर, मुझको गलियारे में

तुझको मारा भिनसारे में, मुझको अंधियारे में

जीना है मुहाल मेरा, तेरा भी मुहाल ॥२॥

 

तू चक्की में पिसा, दबा मैं ज़ालिम चट्टानों में

तू लहरों में फंसा हुआ, मैं पागल तूफ़ानों में

मैं थामूं पतवारें, थोड़ी तू भी झोंक संभाल ॥३॥

 

तुझ पर चली खेत में गोली, मुझ पर मिल हाते में

दोनों नाम लिखे मंडी के बनिये के खाते में

तू भी हुआ हलाल प्यारे मैं भी हुआ हलाल ॥४॥

 

तेरी भवें तनी, आंखों में मेरी भी अंगारे

तू भी काट गुलामी, मैं भी तोड़ूं बंधन सारे

मैंने लिया हथौड़ा साथी, तू भी उठा कुदाल ॥५॥

 

********


Responses

  1. बहुत बढ़िया गीत है.

  2. मैं समझने का यत्न करता रहा – क्या हथौडा और कुदाल लेने से समस्या हल होने वाली है। और मुझे “वन डेफिनेट आंसर” नहीं मिलता।
    पता नहीं , मेरी जिज्ञासा में पर्याप्त ईमानदारी है या नहीं।

  3. राजस्थान के अपने एक मित्र से अत्यन्त जानदार लय में यह गीत सुना और सीखा था , करीब १०-१२ साल पहले । आन्दोलन की रैलियों में सैंकड़ों लोग इसे साथ दोहराते हैं तब समां बन जाता है ।

  4. @ ज्ञानजी : मूल बात अन्याय और दैन्य का जुआ उतारकर सन्नद्ध-कटिबद्ध और विकासोन्मुख होने की है . बाकी हथौड़ा-कुदाल तो प्रतीक भर हैं और आपको अपने प्रतीक चुनने की पूरी आज़ादी है .

    @ अफ़लातून भाई : जिस कविता/गीत को सैकड़ों-हज़ारों कंठ दोहरा दें उसकी तो क्या होड़ हो सकती है . अलग किस्म का रोमांचकारी असर होता है .

  5. मारक है ये गीत,पर नेपाल में आज जो हम देख रहे हैं उसमें हथौड़ा और कुदाल की भी अपनी एक भूमिका है इसी से तो आज नेपाल में राजशाही तो समाप्त प्राय: हो गई है….

  6. रोमाँचकारी गीत ..
    इसे अनेकोँ कँठओँ से सुनना,
    अभूतपूर्व होगा !
    — लावण्या

  7. अद्भुत जनगीत है।

  8. मैं कहीं खड़े होकर गाना चाहता हूं, ख़ासतौर पर ज्ञानदत्‍तजी के लिए.. कहां गाऊं?

  9. अद्वितीय, अद्भुत. एक रोमांचकारी अहसास.

    @ प्रमोद जी,

    आपको कब से स्पेस पूछने की जरुरत पड़ गई कि कहाँ गाऊँ????? अरे, आप तो पॉडकास्ट मास्टर हो, ठेलो वहीं से. हम भी सुनेंगे. हा हा 🙂

  10. रोटी का सवाल
    भैया रोटी का सवालरोटी का सवाल

    लाखों-लाख करोड़ों भूखे-नंगों का सवाल
    DHANJI DEWASI SARNAU
    PASUPALAK PROKOSH MEMBER JAIPUR
    VILLAGE SARNAU POST SARNAU TAHIL – SANCHORE JALORE RAJASTHAN

  11. विद्रोही गीत. अद्भुत गीत. बहुत बढ़िया

  12. गजब की कविता है । पहली बार पढ़ी । धन्यवाद ।
    घुघूती बासूती

  13. लोहे का स्वाद न पूछो ग्यान जी से, पूछो उस घोडे से जिसके मुँह मे लगाम है

  14. गजब की कविता है । पहली बार पढ़ी । धन्यवाद गजब की कविता है ।
    dhanji dewasi sarnau
    village – sarnau


एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

श्रेणी

%d bloggers like this: