मशहूर पाकिस्तानी शायरा ज़हरा निगाह की एक कविता
बनवास
सीता को देखे सारा गांव
आग पे कैसे धरेगी पांव
बच जाए तो देवी मां है
जल जाए तो पापन
जिसका रूप जगत को ठंडक
अग्नी उसका दर्पन ?
सब जो चाहें सोचें समझें
लेकिन वो भगवान
वो तो खोट-कपट के बैरी
वो तो नहीं नादान !
अग्नी पार उतर के सीता
जीत गई विश्वास
देखा दोनों हाथ बढाए
राम खड़े थे पास
उस दिन से संगत में आया
सचमुच का बनवास
*****
बहुत बढ़िया..
By: Shiv Kumar Mishra on मई 13, 2008
at 7:00 पूर्वाह्न
वाह, कहां यह सुन्दर कविता लिखने वाली ज़हरा निगाह और कहां वह लम्पट मकबूल फिदा हुसैन।
By: Gyan Dutt Pandey on मई 13, 2008
at 7:15 पूर्वाह्न
उस दिन से संगत में आया
सचमुच का बनवास
aah kitna bada satya….!
By: kanchan on मई 13, 2008
at 7:19 पूर्वाह्न
shukriyaa..
By: parulk on मई 13, 2008
at 7:55 पूर्वाह्न
वाह कि क्या बात है शुक्रिया,ज़हरा निगा़ह की कुछ और रचनाएं पढ़वाईये…एक बार फिर से बहुत बहुत शुक्रिया…
By: vimal verma on मई 13, 2008
at 8:25 पूर्वाह्न
विश्वास ही सहजीवन का आधार है, खण्डित हुआ तो वनवास है।
By: दिनेशराय द्विवेदी on मई 13, 2008
at 8:54 पूर्वाह्न
बहुत ही बेहतरीन
By: Rajesh Roshan on मई 13, 2008
at 10:35 पूर्वाह्न
एसी मर्मस्पर्शी रचना पढवाने का बेहद आभार..
***राजीव रंजन प्रसाद
By: राजीव रंजन प्रसाद on मई 13, 2008
at 5:33 अपराह्न
बच जाए तो देवी मां है
जल जाए तो पापन
बहुत ही बेहतरीन
शुक्रिया…
By: आभा on मई 13, 2008
at 6:27 अपराह्न
बहुत उम्दा.
By: समीर लाल on मई 14, 2008
at 1:51 पूर्वाह्न
kya baat hai. aise muslmaan par kotin hindy variye.
jahra bi ko bhagwan lambi umar de.
pradeep jain
By: pradeep jain on जून 19, 2008
at 10:30 पूर्वाह्न
पाकिस्तानी शायरा ज़हरा निगाह ki yeh kavita Bhartiya Nari ki Jindagi
ka Satya Batati Hai. Aur yeh Bhi Batati hai ki Aaj Bhi Bharat
Aur Pakistan Bhalehi Alag Alag ho Gaye ho Unka Bes yaniki
Neev Ekhi hain
By: Nishchal Ramaiya on नवम्बर 25, 2008
at 6:17 पूर्वाह्न