रिकी मुखोपाध्याय की एक बांग्ला कविता
( बांग्ला से अनुवाद : प्रियंकर )
भाषा-भूगोल का मानचित्र
जो लोग अनुवाद कार्य से जुड़े हैं
उन्हें पता है कि ‘रेनबो’ का हिंदी समानार्थी है इन्द्रधनुष
और बांग्ला में रामधनु ….
पर किसी को नहीं पता कि
बारिश के आखिरी दिनों में यह आसमानी-धनुष
वरुण इन्द्र या रामजी के साम्राज्य में
किस तरह आता-जाता रहता है ।
यह भी नहीं ज्ञात कि यह तीन
अलग-अलग धनुष हैं या फिर एक ही धनुष है
जो यहां-वहां घूमता रहता है बादलों की ओट में
क्या ठीक-ठाक अनुवाद के लिए पढना होगा धनुर्वेद
सीखनी होगी धनुर्विद्या या फिर ऐसे शब्दों
के चक्कर में पड़ने पर करना होगा कुछ अस्पष्ट
मंत्रों का जाप ….
जय राम जी, जय इन्द्र देवता, जय शब्दतंत्र ….
जय अनुवाद, जय जोखिम, जय भाषाई घुमक्कड़ ….
****
बात काँटे की है, मगर घुमावदार।
By: दिनेशराय द्विवेदी on मई 16, 2008
at 8:47 पूर्वाह्न
बहुत सही !
By: प्रत्यक्षा on मई 16, 2008
at 10:17 पूर्वाह्न
बहुत बढ़िया.
By: समीर लाल on मई 16, 2008
at 2:52 अपराह्न
बहुत पते की बात कही है आपने….खोज जारी रखिए…बहुत बढ़िया…
— डा. रमा द्विवेदी
By: ramadwivedi on मई 17, 2008
at 3:33 पूर्वाह्न
सच है – अनुवाद क्या-क्या न करा ले!
ये भाषायें और अभिव्यक्तियां ढ़ेरों क्यों होती हैं!
By: ज्ञानदत्त पाण्डेय on मई 17, 2008
at 7:09 पूर्वाह्न
पत्ते की बात हजूर….
By: anurag arya on मई 17, 2008
at 2:03 अपराह्न