Posted by: PRIYANKAR | जुलाई 23, 2008

कुंजड़ों का गीत

( यह कविता सामान को नहीं, ईमान को, सहज आत्मीयता और खुलूस को और अन्ततः मनुष्यता को बचा लेने की एक छोटी-सी कोशिश को बयान करती रोज़मर्रा की  ज़िंदगी की तस्वीर है . दैनिक जीवन की रगड़-घसड़ से भरी-पूरी इस कविता को पढें-सराहें . )

 

असद ज़ैदी की एक कविता 

 

कुंजड़ों का गीत

 

हम एक ही तरह के सपने देखेंगे

उसकी टोकरी में गाजर मटर और टमाटर होंगे

मेरे सर पर आलू प्याज़ और अदरक

हरा धनिया और हरी मिरच अलग पोटली में

या गीले टाट के नीचे

लीचड़ खरीदारों के लिए, क्योंकि लीचड़ खरीदार ही

अच्छे खरीदार होते हैं, अच्छे इन्सान

अच्छी औरत  अच्छा आदमी

बच्चों की फ़िक्र करने वाले

 

क्योंकि वही हमसे बात करते हैं

आग्रह करते हैं   हुज्जत करते हैं   झगड़े पर उतर आते हैं

हमारी आंखों में आंखें डालकर बात करना जानते हैं

चलते-चलते नाराज़ी दिखाते हुए

कुछ बुरी-बुरी बातें कहते हैं जिनके पीछे

छिपी होती है आत्मीयता और ज्ञान

 

अगले रोज़ वे फिर हमसे उलझने आ जाते हैं

वे झींकते हैं  हम चिल्लाते हैं  दूसरे ग्राहक झुंझलाते हैं

— यहां रोज़ का किस्सा है —

अन्त में बची रहती है थोड़ी-सी उदारता

 

वे हमें हमारे नाम और आदतों से जानते हैं

कोई रास्ते में मिलती है तो पूछती है : रामकली

कैसी हो ?  ऐसी बन-ठन के कहां जा रही हो ?

बिटिया का नाम — आराधना — बड़ा अच्छा नाम रक्खा है

कोई बाबू मिले तो बोलते हैं :  और भाई कैलाश

दिखाई नहीं दिए कई दिन से

घर पर सब ठीक तो है ?

घर पर यों तो कुछ भी ठीक नहीं है

पर सब कुछ ठीक है

 

हमसे सब्ज़ी खरीदने वाले भी भांत-भांत के हैं

समझो सौ में से दस तो हमसे भी हल्के

दस बराबर के और बाकी बड़े खाते-पीते आप जैसे अमीर

हम सबको बराबर मानते हैं : सबकी सुनते हैं तो

सबको सुना भी देते हैं

 

हम कम तौल सकते हैं पर कम तौलते नहीं

क्यों ? !  क्योंकि साहब कम तौलने वालों का

बचा रह जाता है शाम को

ढेर सारा सामान ।

 

*******

 

(  जनवरी २००८ में प्रकाशित काव्य संग्रह ‘सामान की तलाश’   से साभार )


Responses

  1. जिसकी भी हो कविता अच्‍छी है। जीवन का यथार्थ ध्‍वनित होता है।

  2. अच्छी कविता है,पर कवि के नाम पर सस्पेंस क्यों क्रिएट कर रहे हैं। क्या आपको लगता है कि असद जैदी का संग्रह ‘सामान की तलाश’ किसी ने पढ़ा ही नहीं होगा। यह कविता उस संग्रह की अच्छी कविताओं में से है। क्या आप भी डर गए कि असद का नाम आते ही कविता का कुपाठ शुरू हो जाएगा।

  3. भाई अरुण आदित्य !

    असद ज़ैदी की कविताएं पहले भी डाल चुका हूं .

    आप जैसे गुणीजन चाहें तो नेट पर सर्वे करवा सकते हैं कि कितने लोगों ने यह काव्य संकलन पढा है . निश्चय ही पढने वालों का प्रतिशत कम होगा . साहित्यकार-पत्रकार-मास्टर बिरादरी और कुछ अनन्य पढाकुओं को छोड़ दें तो सामान्य नेटीज़न का गम्भीर हिंदी कविता से कैज़ुअल-सा ही रिश्ता है ( बावजूद इसके कि ब्लॉग-ब्लॉग पर कविता ठिली पड़ी है ). मेरा ब्लॉग मुख्यतः ऐसे लोगों को ही ‘केटर’ करता है . चाहता था कि नेट के ऐसे पढ़वैया जो आपकी तरह साहित्य-वाहित्य का ज्यादा व्यसन नहीं रखते हैं पर अच्छी चीज को सराहने का माद्दा भरपूर रखते हैं, वे इस काने समय में कविता को बिना किसी पूर्वग्रह के पढें .

    पर ऐसा होना नहीं था . आप ज्ञान-गरिमा से भरे पूंछ उठाए तैयार बैठे थे . खैर कोई बात नहीं . सस्पेंस खत्म . नाम डाल देता हूं . अब तो खुश !

  4. बहुत बढ़िया लगी कविता. असद जी की है, ये तो खैर कमेन्ट से पता चला. मैंने उनकी कवितायें पहले नहीं पढी थी. क्या करूं, मैं पढाकू नहीं हूँ. लेकिन उनका नाम जाने बिना भी यही कहता कि “कविता बहुत बढ़िया है.”

  5. मुआफी चाहता हूँ कि कविता को कवि से नही पढता सिर्फ़ कविता से वास्ता रखता हूँ ..टुकडो टुकडो में कविता अच्छी लगी ..

  6. शिव कुमार मिश्र की पूरी जोड़ीदारी टिप्पणी में।

  7. असद जी का ये एक और अन्दाज़ पाठकों के आगे रखने का धन्यवाद प्रियंकर जी! इधर आपने कुछ बढ़िया नगीने चुन चुन के पेश किए हैं.

  8. शानदार कविता।

  9. अच्छी है.

  10. hindi me aisee theek theek kavita bahut kam dikhti hai idhar. vijay gaur k blog se is kavita ka pata chala.sheershak padh kar utsuk hua tha.

  11. ऐसी कविता कभी कभी ही पढने को मिलती है। कवि को बधाई! असद जी, आपके पास बात है और बात को कहने की कला है। आजकल कुछ दुष्ट और ईर्ष्यालु लफंगों ने आपको विवादों में घसीटने की कोशिश की है, आप उसपर ध्यान न दें। आपके प्रशंसकों की संख्या इन नीचों से सौ गुना है।
    अरुण

  12. Very good

  13. दरअसल संग्रह कात्यायनी जी के छापेखाने से आया। दिल्ली पुस्तक मेले में खूब बिका तो जाहिर है कि पढ़ा भी गया। अचानक गुरुजनों का फरमान कुपाठ के लिए आया तो अभियान शुरू हुआ। इससे क्या असद ज़ैदी बेजोड़ हैं अपने सच और तल्ख बोलने में, शानदार कविता लिखने में


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