Posted by: PRIYANKAR | मई 14, 2010

विमलेश त्रिपाठी की दो कविताएं

युवा कवि विमलेश त्रिपाठी की दो कविताएं :

अर्थ विस्तार

जब हम प्यार कर रहे होते हैं
तो ऐसा नहीं
कि दुनिया बदल जाती है

बस यही
कि हमें जन्म देने वाली मां के
चेहरे की हंसी बदल जाती है

हमारे जन्म से ही
पिता के मन में दुबका रहा
सपना बदल जाता है

और
घर में सुबह-शाम
गूंजने वाले
मंत्रों के अर्थ बदल जाते हैं।

*****

वैसे ही आऊंगा

मंदिर की घंटियों की आवाज के साथ
रात के चौथे पहर
जैसे पंछियों की नींद को चेतना आती है

किसी समय के बवंडर में
खो गए
किसी बिसरे साथी के
जैसे दो अदृश्य हाथ
उठ आते हैं हार  के क्षणों में

हर रात सपने में
मृत्यु का एक मिथक जब टूटता है
और पत्नी के झुराए होंठो से छनकर
हर सुबह
जीवन में जीवन-रस आता है पुनः जैसे

कई उदास दिनों के
फाके क्षणों के बाद
बासन की खड़खड़ाहट के साथ
जैसे अंतड़ी की घाटियों में
अन्न की सोंधी भाप आती है

जैसे लंबे इंतजार के बाद
सुरक्षित घर पहुँचा देने का
मधुर संगीत लिए
प्लेटफॉर्म पर पैसेंजर आती है

वैसे ही आऊँगा मैं…..

*****


Responses

  1. waah ek naya anubhav…

  2. विमलेश त्रिपाठी जी की दोनों रचना बहुत बढ़िया लगी ….प्रस्तुति के लिए आभार

  3. दोनों कविताएं समय चक्र के तेज़ घूमते पहिए का चित्रण है। कविताओं की पंक्तियां बेहद सारगर्भित हैं।

  4. इतनी सुन्दर कविता पढ़वाने का आभार। यदि कविता के साथ कवि का संक्षिप्त परिचय भी हो तो अच्छा रहेगा।

  5. arth vistar ke maayne samjha….zabardast kavita lagi vimlesh ji..

    doosri kavita me prayog kiye gaye bimb dhyaan kheenchte hain …dono hi rachnayen behad umda hain …

  6. ओह, लगता है कोई बुला रहा है।

  7. क्या बेहतर अहसास…
    बहुत ही प्रभावशाली कविताएं…बेजोड़….

  8. आपक सबके इस असीम स्नेह के लिए धन्यवाद….प्रियंकर भइया का भी बहुत आभार

  9. किसी बिसरे साथी के
    जैसे दो अदृश्य हाथ
    उठ आते हैं हार के क्षणों में
    aur

    कई उदास दिनों के
    फाके क्षणों के बाद
    बासन की खड़खड़ाहट के साथ
    जैसे अंतड़ी की घाटियों में
    अन्न की सोंधी भाप आती है

    waah kya baat hai bimlesh jee. jo abhinav bimb aapne utaare hain wo kaabil-e-tareef hai.

  10. thanks kalpana……….

  11. वाह, बहुत खूब. विमलेश जी को बधाई।

    समय निकाल कर यहां भी क्लिक करें –

    http//www.samvetswar.blogspot.com
    http//www.samskritisarokaar.blogspot.com
    http//www.samskritisetu.blogspot.com

  12. शब्द स्फीति व शब्दावमूल्यन के समय मेँ “अर्थविस्तार” पढ़ कर अच्छा लगा।

  13. भाई विमलेश जी की कवितायेँ अच्छी लगीं. संवेदना से भरी और सच की तरह सहज! पर सबसे अच्छी लगी प्लेटफार्म पर पैसेंजर आने की बात और उसमें सुन लेना मधुर संगीत. बधाई.


एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

श्रेणी

%d bloggers like this: