केदारनाथ अग्रवाल (1911 — 2000)
अहिंसा
मारा गया
लूमर लठैत
पुलिस की गोली से
किया था उसने कतल
उसे मिली मौत
किया था कतल पुलिस ने
उसे मिला ईनाम
प्रवचन अहिंसा का
हो गया नाकाम !
(२१-६-१९७२)
****
(कवि के संकलन ’कहें केदार खरी-खरी’ से साभार)
केदारनाथ अग्रवाल (1911 — 2000)
अहिंसा
मारा गया
लूमर लठैत
पुलिस की गोली से
किया था उसने कतल
उसे मिली मौत
किया था कतल पुलिस ने
उसे मिला ईनाम
प्रवचन अहिंसा का
हो गया नाकाम !
(२१-६-१९७२)
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(कवि के संकलन ’कहें केदार खरी-खरी’ से साभार)
कविताएं/Poems में प्रकाशित किया गया | टैग: केदारनाथ अग्रवाल
आपको अभिनंदन
By: dipak sondarva on अक्टूबर 7, 2010
at 2:31 पूर्वाह्न
बहुत अच्छी लगी दद्दा की यह कविता ।
By: शरद कोकास on अक्टूबर 7, 2010
at 6:06 अपराह्न
kedar ji ki ek bahut acchi kavita prastut karne ke liye badhai !
By: hindi-vishwa on नवम्बर 19, 2010
at 6:58 पूर्वाह्न
ye kabita hme ek bar phir tutate mulyo or bikhrte sidhyanto ki or isaara kr rhe hai…
By: DIKSHA GUPTA on मार्च 27, 2014
at 7:23 पूर्वाह्न