प्रार्थना – 4
यही प्रार्थना है प्रभु तुमसे
जब हारा हूं तब न आइए।
वज्र गिराओ जब-जब तुम
मैं खड़ा रहूं यदि सीना ताने
नर्क अग्नि में मुझे डाल दो
फिर भी जिऊं स्वर्ग-सुख माने
मेरे शौर्य और साहस को
करुणामय हों तो सराहिए
चरणों पर गिरने से मिलता है
जो सुख वह नहीं चाहिए।
दुख की बहुत बड़ी आंखें हैं
उनमें क्या जो नहीं समाया
यह ब्रह्माण्ड बहुत छोटा है
जिस पर तुम्हें गर्व हो आया
एक अश्रु की आयु मुझे दे
कल्प चक्र यह लिए जाइए।
Achi jankari thanx
By: Deepa singh on जुलाई 31, 2016
at 10:33 पूर्वाह्न
Nahi bahut bahut dhanyawaad..Issue kawita ko Na Jane kab se dhoondh rha tha…..Mere swarthi man ijajt to nahi deta…lekin yadi mere kisi kaam ka you punya mujhe Mila ho to Wo aapko samarpit…kotushah dhanyawaad..
K.k.kandpal
Upsc aspirant
Hindi ka sewak
By: Aawara on अप्रैल 1, 2017
at 5:59 अपराह्न