Posted by: PRIYANKAR | अप्रैल 2, 2007

हिंदी में नहीं रहा ……

 सुंदर चंद ठाकुर की एक कविता

  

हिंदी में

  

हिंदी में नहीं रहा

शब्द से रोटी मांगने का रिवाज

शब्द यहां भूख है

दीवानगी है

कैद भी और निर्वाण भी

शब्द हाशिए पर लड़ाई है

जो लड़ी जाती है

अंतहीन युद्ध की तरह

 

और याद रहे आपकी शहादत पर

न आंसू बहाए जाते हैं

न तालियां बजाई जाती हैं ।

 

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( समकालीन सृजन   के ‘कविता इस समय’ अंक से साभार )

 


प्रतिक्रियाएँ

  1. वाह, शहादत पर न सही, पर इस कविता पर तो ताली बजाने का मन कर रहा है।

  2. बढ़िया है.

  3. अच्छी है कविता!

  4. अंतहीन युद्ध के सहयात्री – जिन्दाबाद ।

  5. कविता बहुत अच्छी लगी .

  6. //शब्द हाशिए पर लड़ाई है

    जो लड़ी जाती है

    अंतहीन युद्ध की तरह//

    ये पन्क्तियाँ बहुत पसँद आई!


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